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जूस पीना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि इसे लेकर आपकी हर जानकारी सही हो। बेहतर होगा कि जूस पीने से पहले आप अपने फैक्ट्स दुरुस्त कर लें :
मिथ: घर में बना फ्रेश फूट जूस ही पीना चाहिए।
फैक्ट: इस तरह आपको टेस्ट और न्यूट्रिशंस के साथ साफ जूस मिलेगा। यानी हाइजीन को लेकर कोई समस्या नहीं होगी। कई बार बाहर के जूस में फ्लेवर या पानी मिला दिया जाता है, जिससे जूस का फायदा आपको मिल ही नहीं पाता।
मिथ: फ्रूट्स खाना हेल्दी होता है, बजाय जूस पीने के।
फैक्ट: जूस भी हेल्दी होता है। अपोलो अस्पताल में फिजिशियन डॉ. अजय बजाज कहते हैं कि फल के रस में भी उतने ही न्यूट्रिशंस होते हैं, जितने फल में। दरअसल, फलों के रस में फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं, जो हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। हां, यह जरूर कह सकते हैं कि फलों में मौजूद फाइबर पेट के लिए काफी फायदेमंद होते हैं, लेकिन जूस पीने से आप तुरंत एनर्जेटिक हो जाते हैं। दरअसल, फूट जूस बॉडी में इंटरफेरान और एंटीबॉडीज के लेवल को बढ़ा देता है और इनमें पाया जाने वाला नेचरल शुगर हार्ट को स्ट्रॉग करता है। इससे बॉडी से यूरिक एसिड और दूसरे हार्मफुल केमिकल्स बाहर निकल आते हैं, जिससे आप दिनभर एनजेर्टिक और फ्रेश बने रहते हैं।
मिथ: पैक्ड जूस से वजन बढ़ता है।
फैक्ट: पैक्ड जूस में हाई कैलरीज होती हैं, जिससे वजन बढ़ सकता है। इनमें एनर्जी का लेवल बहुत हाई होता है। इनके इस्तेमाल से भूख तो बढ़ती है, लेकिन वजन बढऩे की संभावना भी काफी हद तक बढ़ जाती है। ऐसे में वेट कम करने की कोशिशें बेकार जाती हैं।